नृत्य |
क्षेत्र |
विशेष |
जोगिनी |
अवध |
रामनवमी के अवसर पर पुरुष, महिलाओं का रूप धारण कर नृत्य करते हैं।यह नृत्य अवध क्षेत्र से संबंधित है |
चरकुला |
ब्रजक्षेत्र |
ब्रजवासियों द्वारा किया जाने वाला घड़ा नृत्य जिसमें बैलगाड़ी अथवा रथ के पहिए पर कई घड़े रखे जाते हैं तथा फिर उसे सिर पर रखकर नृत्य किया जाता है। |
कथक |
लखनऊ |
लखनऊ तथा इसके आस पास के क्षेत्रों में किया जाता है |
धुरिया नृत्य |
बुंदेलखंड |
बुन्देलखण्ड के कुम्हार (प्रजापति) लोगों द्वारा स्त्री वेष धारण करके नृत्य किया जाता है |
ढरकहरी नृत्य |
सोनभद्र |
सोनभद्र की जनजातियों का नृत्य |
कलाबाजी |
अवध |
अवध क्षेत्र के लोग मोरबाजा लेकर कच्ची घोड़ी पर बैठकर नृत्य करते हैं। |
धीवर |
पूर्वांचल |
कहार जाति द्वारा शुभ अवसरों पर। |
शैरा नृत्य |
बुंदेलखंड |
बुन्देलखण्ड के किसानों द्वारा फसल कटाई के समय। |
पासी नृत्य |
पूर्वांचल |
पासी जाति द्वारा सात अलग-अलग मुद्राओं में युद्ध की भाँति नृत्य किया जाता है। |
धोबिया नृत्य |
पूर्वांचल |
इसे मांगलिक अवसरों पर किया जाता है। |
ख्याल नृत्य |
बुंदेलखंड |
पुत्र रत्न के जन्मोत्सव पर |
झूला नृत्य |
ब्रज क्षेत्र |
यह नृत्य श्रावन मास में किया जाता है |
पाई डण्डा नृत्य |
बुंदेलखंड |
बुन्देलखण्ड के अहीरों द्वारा गुजरात के डाण्डिया नृत्य के समान किया जाता है। |
चौरसिया नृत्य |
जौनपुर |
यह नृत्य जौनपुर के कहारों द्वारा किया जाता है |
ठुमरी |
अवध |
यह नृत्य श्रृंगार रस से संबंधित है |
घोड़ा नृत्य |
बुंदेलखंड |
बाजों की धुन पर घोड़ों का नृत्य |
छपेली नृत्य |
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एक हाथ में रुमाल तथा दूसरे हाथ में दर्पण लेकर किए जाने वाले इस नृत्य में आध्यात्मिक समृद्धि की कामना की जाती है। |
कार्तिक नृत्य |
बुंदेलखंड |
बुन्देलखण् क्षेत्र में कार्तिक माह में नर्तकों द्वारा श्रीकृष्ण तथा गोपी बनकर। |
राई नृत्य |
बुंदेलखंड |
बुन्देलखण्ड की महिलाओं द्वारा विशेषकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मयूर की भाँति किया जाता है अत: इसे मयूरनृत्य भी कहा जाता है। |